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राह गुज़रा, उम्र गुज़री, नज़ारे गुज़रे, जवानी गुज़री.
आज भी ये मन कोई ना जाने, बैठा उसी की राह मे क्यो.
सावन गुज़रा, पतझड़ गुज़रा, वो भी गुज़रे, मैं भी गुज़रा,
आज भी ये मन कोई ना जाने, बैठा उसी की राह मे क्यो.
कसमे टूटे, वादे टूटे, यादो के नज़राने टूटे,
आज भी ये मन कोई ना जाने, बैठा उसी की राह मे क्यो.
आँसू छलके, बादल बरसे, मैं भी तरसू, वो भी तरसे,
आज भी ये मन कोई ना जाने, बैठा उसी की राह मे क्यो.
ख़ुसीया बिसरी, गमो ने लूटा, यारी टूटी, हर कोई झूठा,
आज भी ये मन कोई ना जाने, बैठा उसी की राह मे क्यो.
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