Saturday, August 29, 2015

यादो की किताब....

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राह गुज़रा, उम्र गुज़री, नज़ारे गुज़रे, जवानी गुज़री.
आज भी ये मन कोई ना जाने, बैठा उसी की राह मे क्यो.

सावन गुज़रा, पतझड़ गुज़रा, वो भी गुज़रे, मैं भी गुज़रा,
आज भी ये मन कोई ना जाने, बैठा उसी की राह मे क्यो.

कसमे टूटे, वादे टूटे, यादो के नज़राने टूटे,
आज भी ये मन कोई ना जाने, बैठा उसी की राह मे क्यो.

आँसू छलके, बादल बरसे, मैं भी तरसू, वो भी तरसे,
आज भी ये मन कोई ना जाने, बैठा उसी की राह मे क्यो.

ख़ुसीया बिसरी, गमो ने लूटा, यारी टूटी, हर कोई झूठा,
आज भी ये मन कोई ना जाने, बैठा उसी की राह मे क्यो.

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पाप पुन्य का लेखा जोखा....

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वो उम्र का तक़ाज़ा था या पाप पुन्य का लेखा जोखा,
यारी भी खूब निभाई थी और पाया था ज़माने का धोखा.

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Monday, August 17, 2015

कश-म-कश...

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बड़ी कशमकश है ज़िंदगी को बयान करना,
मुझे तो अब इंद्रधनुष के रंग भी फीके दिखाई देते है.

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Monday, August 10, 2015

गुहारती ज़िंदगी....

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आशियाना दरअसल टूटा हमारा, उसके नज़र दरकार से.
की मंज़िल से कुछ दूर ही थे और मंज़िल बुरा मान गयी.
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Monday, August 3, 2015

रंग रूप की श्याही....

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ये रंग रूप की श्याही, वो यादो का मलबा
उसने कलम उठाया तो, कलमा लिख दिया.

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हम तो आज भी इंसान खुद्दार है,

रंग रूप बदल गया तो अंजान ना समझना.

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Friday, July 17, 2015

आरज़ू की किताब....

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मत आज़्मा, ये सोच कर, की कुछ है नही मेरे पास तुझे देने को.
शायर हूँ, थोड़ा ही सही पर नाम तेरे कुछ लिख ही जाऊँगा.
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ख़ुदग़र्ज़ दुनिया....

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दुख है, की अब रंजिश और फिरौती से चलती है ये ख़ुदग़र्ज़ दुनिया, वरना
हमने तो वो दौर भी सुना है, जहाँ दिन काटने के लिए आवारगी ही बहुत थी.
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